Autobiography of a yogi hindi pdf
Autobiography of a Yogi train in Hindi PDF | यग कथमत
Title : यग क आतमकथ
Pages :
File Size : MB
Author : परमहस यगननद
Category : Biography
Language : Hindi
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कवल पढ़न हत : मनषय त वह ह ज सवरथ क लए लड़त न ह अहकर म पड़कर अपन ह टग हर जगह अड़य रखन
और दसर सथय क उसम स वचर क भ मलय न समझन परसपर क वयवहर क चपट कर दत ह घर और समज क वह मलक बदवमन ह ज परय हर वयवहर म अपन सथय, परवर वल तथ अनगमय स समपत लत ह कह ह- "पच सरख कज कज, हर जत नह लज"
सथय स सपतत लकर कम करन स अपन शरषठत घटत नह अपत बढ जत ह अनक वचर क मल जन पर परय बगड़त नह यद समय स बगड भ जय त उसक हन कवल वयवसथपक क अपन सर पर नह आत उसम सब हससदर ह जत ह और परसपर वयवहर मधर बन रहत ह
कई बर मनषय स गलत ह जत ह, परनत वह अपन गलत क सवकरत नह ह इसस भ वयवहर बगड़ जत ह अपन गलत न मनन क मल म भ अहकर ह ह मनषय समझत ह क हम अपन गलत सवकर करग त लग हम ह यह हन समझग, परनत यह कवल भल ह वनमरत परवक सचच हदय स अपन गलत सवकर लन वल पर सबक शरदव ह जत ह
अतएव मनषय यद अपन जवन सख बनन चहत ह, त उस चहए क वह भतक भग क ललच, सवरथ क आसकत एव अहम भवन क तयग करक सथय म मधरतम परम क वयवहर सथपत कर
यद सथ सचमच बर बन जत ह त वयवहर नह बनत; परनत अधकशत परसपर क वयवहर इसलए बगड़ जत ह क एक दसर क ठक स समझन म तरट करत ह कई बर ऐस हत ह क कई वयकत हमर सधर क लए ऐस शबद कहत ह ज हम कट लगत ह और हम यह मन लत ह क वह हमर बरइय क दखत रहत ह यदयप कहन वल क हदय हमर लए सफ और सरल हत ह
कई बर हमर सथ उततजन म आकर सचमच कट कह दत ह और इस आधर पर हम अपन सथ क अपन दष-दरशक, छदरनवष और वर समझ लत ह; परनत वह हम कट कहन क ततकल बद उस पर घर पशचतप करत ह और मन ह मन सचत ह क मन उसक नहक कट कह
More: ओश क परसदध पसतक 'सभग स समध क ओर' (PDF)
हम कई बर यह मन रहत ह क अमक वयकत हमस दवष करत ह और इसलए हम उसक यह नह जन चहए; परनत यद हम उसक यह चल जत ह त वह हमर आवभगत करत ह, परसनन हत ह और परव और परव क धमल वयवहर नखर जत ह
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Author : परमहस यगननद
Category : Biography
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कवल पढ़न हत : मनषय त वह ह ज सवरथ क लए लड़त न ह अहकर म पड़कर अपन ह टग हर जगह अड़य रखन
और दसर सथय क उसम स वचर क भ मलय न समझन परसपर क वयवहर क चपट कर दत ह घर और समज क वह मलक बदवमन ह ज परय हर वयवहर म अपन सथय, परवर वल तथ अनगमय स समपत लत ह कह ह- "पच सरख कज कज, हर जत नह लज"
सथय स सपतत लकर कम करन स अपन शरषठत घटत नह अपत बढ जत ह अनक वचर क मल जन पर परय बगड़त नह यद समय स बगड भ जय त उसक हन कवल वयवसथपक क अपन सर पर नह आत उसम सब हससदर ह जत ह और परसपर वयवहर मधर बन रहत ह
कई बर मनषय स गलत ह जत ह, परनत वह अपन गलत क सवकरत नह ह इसस भ वयवहर बगड़ जत ह अपन गलत न मनन क मल म भ अहकर ह ह मनषय समझत ह क हम अपन गलत सवकर करग त लग हम ह यह हन समझग, परनत यह कवल भल ह वनमरत परवक सचच हदय स अपन गलत सवकर लन वल पर सबक शरदव ह जत ह
अतएव मनषय यद अपन जवन सख बनन चहत ह, त उस चहए क वह भतक भग क ललच, सवरथ क आसकत एव अहम भवन क तयग करक सथय म मधरतम परम क वयवहर सथपत कर
यद सथ सचमच बर बन जत ह त वयवहर नह बनत; परनत अधकशत परसपर क वयवहर इसलए बगड़ जत ह क एक दसर क ठक स समझन म तरट करत ह कई बर ऐस हत ह क कई वयकत हमर सधर क लए ऐस शबद कहत ह ज हम कट लगत ह और हम यह मन लत ह क वह हमर बरइय क दखत रहत ह यदयप कहन वल क हदय हमर लए सफ और सरल हत ह
कई बर हमर सथ उततजन म आकर सचमच कट कह दत ह और इस आधर पर हम अपन सथ क अपन दष-दरशक, छदरनवष और वर समझ लत ह; परनत वह हम कट कहन क ततकल बद उस पर घर पशचतप करत ह और मन ह मन सचत ह क मन उसक नहक कट कह
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हम कई बर यह मन रहत ह क अमक वयकत हमस दवष करत ह और इसलए हम उसक यह नह जन चहए; परनत यद हम उसक यह चल जत ह त वह हमर आवभगत करत ह, परसनन हत ह और परव और परव क धमल वयवहर नखर जत ह